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Showing posts from April, 2021

Navagrahas: The nine planets of Vedic astrology

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hinduism_and_science . Navagrahas: The nine planets of Vedic astrology . . “Each planet in its orbit gathers in and gives out forces, and thereby transmits a particular wavelength of energy necessary for maintaining the order of the solar system. The planets are perpetually flashing forth with energy in different patterns and cycles of transmission weaving the web of life and creation.” ~ “Astrology of the Seers,” David Frawley . . Vedic astrology pays attention to nine grahas, which are collectively referred to as the navagrahas, with nava meaning nine. They include the sun (Surya), moon (Chandra), Mars (Mangala), Mercury (Budha), Jupiter (Brihaspati), Venus (Shukra), Saturn (Shani), Rahu (north node of the moon), and Ketu (south node of the moon).

The basic method of generating electricity is based on the ancient principles of Rishi Agastya.

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Hinduism_and_science . We all have been taught that foreign scientists such as Newton, Einstein, Benjamin Franklin had invented electricity, bulbs and batteries. But what has not been taught to us is that the electricity was being used in India thousands of years before that. Many of us do not know that Agastya Rishi was the father of the electric battery. Maharishi Agastya was one of the Saptarishis and he was the elder brother of Vasishtha Muni who was Rajkul Guru of King Dasharath. Agastya Rishi lived in Northern India but on request of the deities, he left Kashi and travelled to the south and later settled there. . . Agastya Rishi is one of the great sages. The basic method of generating electricity is based on the ancient principles of Rishi Agastya. The code written by him covered the vast knowledge of subjects including a formula for making a battery. In the code, Maharishi has mentioned several theories to generate clean energy thereby providing electricity with nat

राम नवमी

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यश कीर्ति बल वीरता वैभव की भरमार थी अवधभूप दशरथ की जगत में जयकार थी ख्याति और प्रतिष्ठा संपदा की कमी नहीं एक रिक्तता फिरभी 'सूर्यवंश' में बनी रही आस में विश्वास में अवध की भूमि थी रघुकुल की गोद अभी भी सूनी थी तीनों रानियाँ विह्वल संतति को विकल थीं अवधनरेश की चिंता बढ़ती घोर प्रबल थी यह सूर्यवंश का गौरव आगे कौन बढ़ाएगा ? क्या ये रघुकुल दीपक साथ मेरे बुझ जाएगा? वशिष्ट ने पीड़ा देखी दशरथ को समझाया और पुत्रेष्टि यज्ञ का उपाय अखंड बताया दूर जहाँ गिरिशिखरों में महानदी का उद्गम है। अतिमनोहर उपवन में श्रृंगऋषि का आश्रम है जाओ राजन दीन बनके मान गौरव क्षीण करके सादर उनको ले आओ महायज्ञ सम्पन्न कराओ नग्न पाँव दशरथ नरेश वनमार्ग में बढ़ चले हैं सेना अश्वहीन अवधेश पदयात्रा कर चले हैं गए भूपति ऋषि आश्रम निजसुत की कामना लिए अवधराज मुनि द्वार पर भिक्षुक सम याचना किए मुनिश्रेष्ठ! कृपादृष्टि करें निर्धन मैं आस पर चला यज्ञ करें संग अवध चलें याचक मैं द्वार पर खड़ा ऋषि हुए प्रसन्न अस्तु कहे वचन को वरदान कर चले स्वीकार किए मुनि याचना अवध को प्रस्थान कर चले राजगृह में यज्ञ अलौकिक जैसे बड़े

श्री रामानुजम।

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भारत की पवित्र भूमि ने कई संत-महात्माओं को जन्म दिया है। जिन्होंने अपने अच्छे आचार-विचार एवं कर्मों के द्वारा जीवन को सफल बनाया और कई सालों तक अन्य लोगों को भी धर्म की राह से जोड़ने का कार्य किया। ऐसे ही एक महान संत हुए श्री रामानुजम।    हिन्दू मान्यताओं के अनुसार उनका जन्म सन् 1017 में श्री पेरामबुदुर (तमिलनाडु) के एक ब्राह्मण परिवार में हुआ था। उनके पिता का नाम केशव भट्ट था। जब उनकी अवस्था बहुत छोटी थी, तभी उनके पिता का देहावसान हो गया। बचपन में उन्होंने कांची में यादव प्रकाश गुरु से वेदों की शिक्षा ली।   हिन्दू पुराणों के अनुसार श्री रामानुजम का जीवन काल लगभग 120 वर्ष लंबा था। रामानुजम ने लगभग नौ पुस्तकें लिखी हैं। उन्हें नवरत्न कहा जाता है। वे आचार्य आलवन्दार यामुनाचार्य के प्रधान शिष्य थे। गुरु की इच्छानुसार रामानुज ने उनसे तीन काम करने का संकल्प लिया था। पहला- ब्रह्मसूत्र, दूसरा- विष्णु सहस्रनाम और तीसरा- दिव्य प्रबंधनम की टीका लिखना।  श्रीरामानुजाचार्य बड़े ही विद्वान और उदार थे। वे चरित्रबल और भक्ति में अद्वितीय थे। उन्हें योग सिद्धियां भी प्राप्त थीं। उनकी सबसे प्रसिद्ध रचनाओं

Former Prime Minister Manmohan Singh's suggestions

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Former Prime Minister Manmohan Singh wrote a letter to Prime Minister Narendra Modi, suggesting five ways the government can fight the pandemic amid an unprecedented surge in Covid-19 cases. 𝗛𝗲𝗿𝗲'𝘀 𝗠𝗮𝗻𝗺𝗼𝗵𝗮𝗻'𝘀 𝗳𝗶𝘃𝗲-𝗽𝗼𝗶𝗻𝘁 𝗿𝗲𝗺𝗲𝗱𝘆 𝘁𝗼 𝗯𝗮𝘁𝘁𝗹𝗲 𝗖𝗼𝘃𝗶𝗱-𝟭𝟵 𝗰𝗿𝗶𝘀𝗶𝘀:  '𝗣𝘂𝗯𝗹𝗶𝗰𝗶𝘀𝗲 𝗖𝗼𝘃𝗶𝗱 𝘃𝗮𝗰𝗰𝗶𝗻𝗲 𝗼𝗿𝗱𝗲𝗿𝘀 𝗽𝗹𝗮𝗰𝗲𝗱 𝗳𝗼𝗿 𝗻𝗲𝘅𝘁 𝟲 𝗺𝗼𝗻𝘁𝗵𝘀' '𝗜𝗻𝗱𝗶𝗰𝗮𝘁𝗲 𝗵𝗼𝘄 𝘁𝗵𝗶𝘀 𝗲𝘅𝗽𝗲𝗰𝘁𝗲𝗱 𝘀𝘂𝗽𝗽𝗹𝘆 𝘄𝗶𝗹𝗹 𝗯𝗲 𝗱𝗶𝘀𝘁𝗿𝗶𝗯𝘂𝘁𝗲𝗱 𝗮𝗰𝗿𝗼𝘀𝘀 𝘀𝘁𝗮𝘁𝗲𝘀' '𝗦𝘁𝗮𝘁𝗲𝘀 𝘀𝗵𝗼𝘂𝗹𝗱 𝗯𝗲 𝗴𝗶𝘃𝗲𝗻 𝘀𝗼𝗺𝗲 𝗳𝗹𝗲𝘅𝗶𝗯𝗶𝗹𝗶𝘁𝘆 𝘁𝗼 𝗱𝗲𝗳𝗶𝗻𝗲 𝗳𝗿𝗼𝗻𝘁𝗹𝗶𝗻𝗲 𝘄𝗼𝗿𝗸𝗲𝗿𝘀' '𝗦𝘂𝗽𝗽𝗼𝗿𝘁 𝘃𝗮𝗰𝗰𝗶𝗻𝗲 𝗽𝗿𝗼𝗱𝘂𝗰𝗲𝗿𝘀 𝘁𝗼 𝗲𝘅𝗽𝗮𝗻𝗱 𝘁𝗵𝗲𝗶𝗿 𝗺𝗮𝗻𝘂𝗳𝗮𝗰𝘁𝘂𝗿𝗶𝗻𝗴 𝗳𝗮𝗰𝗶𝗹𝗶𝘁𝗶𝗲𝘀' '𝗔𝗻𝘆 𝘃𝗮𝗰𝗰𝗶𝗻𝗲 𝘁𝗵𝗮𝘁 𝗵𝗮𝘀 𝗯𝗲𝗲𝗻 𝗰𝗹𝗲𝗮𝗿𝗲𝗱 𝗳𝗼𝗿 𝘂𝘀𝗲 𝘀𝗵𝗼𝘂𝗹𝗱 𝗯𝗲 𝗮𝗹𝗹𝗼𝘄𝗲𝗱 𝘁𝗼 𝗯𝗲 𝗶𝗺𝗽𝗼𝗿𝘁𝗲𝗱'

"Aryabhatta" - The Master Astronomer & Mathematician

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लाखो वर्ष पहले से ही भारत के ऋषि-मुनियों ने विभिन्न क्षेत्रों में ज्ञान की खोज में रत रहते थे । उनका मस्तिष्क सृजनात्मक और बहुआयामी था । ज्ञान-विज्ञान के क्षेत्रों में संसार को उनकी कई महत्वपूर्ण देनें हैं, जिसके लिए पूरा विश्व,राष्ट्र और समाज आज भी उनका ऋणी है । By whose knowledge NASA still teaches, today is the birth anniversary of the great sage Aryabhata ji 🚩अंग्रेजो के पिट्ठुयो के इतहास में लुटेरे, आक्रमणकारी मुगलों ओर अंग्रेजो का है इतिहास पढ़ाया जाता है वास्तव में जिन्होंने विश्व और समाज के लिए उपयोगी खोज किया उनका इतिहास ही खत्म कर दिया गया लेकिन उन महापुरुषों किसी परिचय के मोहताज नहीं थे और न ही झोलाछाप इतिहासकारों की लेखनी के बिना विस्मृत होने वाले हैं। उन तमाम महान आत्माओ में से एक हैं आर्यभट्ट । जिनका आज जयंतीहै। नासा आज भी उनकी ही शिक्षा से प्रयोगशाला चला रही है लेकिन अफ़सोस की बात तो ये है कि हम में से कोई भी उनके बारे में जानते ही नहीं हैं। 🚩तो आइए आज जानते है उन महान ऋषि के बारे में… 🚩खगोलशास्त्र का अर्थ है ग्रह, नक्षत्रों की स्थिति एवं गति के आधार पर पं